Monday 4 April 2016

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है ! ये संगीत बहुत पुराना है लेकिन आज भी उतना ही ठीक साबित हो रहा है जितना शायद पहले न हुआ हो।  सवाल वही है दुनिया क्या है आज की उस पर संगीत कुछ ऐसा होगा "ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है , ये ट्विटर , फेसबुक की दुनिया "  क्या होगा इस दुनिया का अगर ऐसा होता रहा तो नहीं रह पायेगी गरीबो की दुनिया।
यहाँ पर फेसबुक और ट्विटर आज की दुनिया के रूप के में है ,इस पर कुछ  पंक्ति ;

 ये ट्विटर , फेसबुक की दुनिया , अगर मिल  भी जाये तो क्या है ,
 नहीं रह पायेगी गरीबो की दुनिया , झूठे वादों में नहीं जी पायेगी ये दुनिया,
 ये फॉलोवर और हैंडलर की दुनिया , नहीं दिला पायेगी रोटी ये दुनिया ?,
 दे देती है सभी की परिभाषा , क्या किसी को समझा पायेगी ये दुनिया ?
 बना देती है 'गाय ' को माता ये दुनिया , क्या माँ का ख्याल रख पायेगी ये दुनिया ?
 ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है , क्या समझना सीख पायेगी ये दुनिया ?
 बाबा ने काला धन दिलाने को कहा था , वो तो आप छोड़ ही दो , क्या सबको रोटी दे पायेगी ये दुनिया  ?
 बड़ी बात करती है राष्ट्रवाद की ये दुनिया , क्या अपने राष्ट्र को बना रख पायेगी ये दुनिया ?
 बहुत बात होती है "विकास " की , क्या "विकास (लड़का )" की रक्षा कर पायेगी ये दुनिया ?
 बुहत बात होती है सशक्तिकरण की , क्या हथियारों के बिना जी पायेगी ये दुनिया ?
 ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है , नहीं ला पायेगी वो बात ये दुनिया
 बहुत लड़ते हो युद्ध , क्या युद्ध से बच पायेगी ये दुनिया ?
 खिलाफ बोलने वाले को गाली  देती है दुनिया , क्या आगे कुछ सुनने  लायक बच पायेगी ये दुनिया ?
 बहत होती है जाति  पर राजनीती , क्या राजनीती से जाति को खत्म कर पायेगी ये दुनिया ?
 ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है , कुछ भी करने लायक नहीं रह पायेगी ये दुनिया
 हेल्पलाइन पर चलने वाली ये दुनिया , क्या किसी की खुद  हेल्प कर पायेगी ये दुनिया ?
 न जाने कब सपनो से बाहर आ पायेगी ये दुनिया , क्या कभी हकीकत को जान पायेगी ये दुनिया ?
 ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है , क्या कभी "सबका साथ सबका विकास " ला पायेगी ये दुनिया  ?
 बहुत सोचती है दुनिया , क्या कुछ "अंतहीन" सोच पायेगी ये दुनिया ?
 बहुत बोलती है "धर्म " ये दुनिया , क्या कभी सही "धर्म" समझ पायेगी दुनिया ?
 बहुत आलोचना करती है दुनिया , क्या आलोचना की आलोचना सुन पायेगी ये दुनिया ?
 चलिए छोड़ देते है दुनिया , आपकी है आप ही सभाले ये दुनिया
  ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है , ये ट्विटर और फेसबुक की दुनिया !

नोट : मैं आपकी भावना को आहत करना चाहता हुँ  , क्योंकि " जब दिल पर लगेगी तब बात बनेगी और जब दिमाग पर लगेगी तो बात सुधरे गी "

नाम : आपकी भुला  दी गयी दुनिया'
पता : आपके विचार