Saturday 31 January 2015

आज की राजनीति

आने वाले दिनों में दिल्ली में चुनाव आ रहे है । हम देख रहे है चुनावी दंगल में दो पार्टी मुख्य तौर पर सामने है । एक बीजेपी और आम आदमी पार्टी (आप ) । आज कोई पार्टी वोट ऐसे नही माग रही की आज पार्टिया मुद्दे दिखा कर वोट माग  रही है । जैसे की हम आपको पानी देंगे , औए भी कई मुद्दे ।  ये हमारे चुनाव  बड़ा बदलाव आया है । एक पार्टी "विकास " के नाम पर वोट माग रही लेकिन विकास दिखा नही रही  है । दूसरी पार्टी आम लोगो मुद्दे उठा रही है । लेकिन हमे मुद्दे पर ऐसे ही यकीन नही  चाहिये हमे मुद्दो को जाचं - परख कर फैसला करना चाहिए । और एक बड़ी पार्टी कांग्रेस भी है लेकिन आज वो डेल्ही  नाम मात्र रह गयी है । कांग्रेस  देख कर मुझे "रजनी कोठारी" जी याद आते है । उनका निबंध "कांग्रेस सिस्टम " याद आ जाता है । कांग्रेस क्या थी ?  क्या हो गयी ? लेकिन हम इस बात से इंकार नही कर सकते की कांग्रेस को डेल्ही 25 % वोट मिला था । बीजेपी को 33.1  मिला था और आप को 29.5  मिला है । वोटिंग के हिसाब से कांग्रेस पीछे नही पर सीटो के हिसाब से बहुत पीछे है । बीजेपी - 31 , आप - 28  और कांग्रेस - 8 । देख लिजिए वोटिंग परसेंट और सीटो में कितना फर्क है । ऐसा क्यों होता है ? आपको पता होगा हमरे देश में FPTP (पहले आओ पहले पाओ ) के हिसाब से वोटिंग होती है । उद्धरण - 100  वोट पड़ते है । उसमे से A को 30 वोट मिलते है B-20 , C-15 , D-15 , और बाकी दो को 10 , 10 तो जीत होती है 30 वाले की क्युकी उसको सबसे जयदा  वोट मिले  है । 
अब हम दुबरा चुनावी दंगल में आते है । इस बार पिछली बार से काम करोड़पति इस चुनाव में है वर्ष 2013 में इनकी संख्या थी 265 और इस बार ये घाट कर 230 हो गयी है । चुनाव के इस महौल में भाषा के वॉर बहुत बढ़ जाते है । कोई कहता है की "तम्हे जो अाता है  तुम वो करो " और कोई कहता है "आपको जो आता है अपने वो भी नही किया "। आप एक चीज़ देखे की डेल्ही में एक आम आदमी पार्टी को हरने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत दिखा रही है उसने अपने मंत्री , संसद और ना जाने  सोर्स लगा रखे है । दो कैबिनेट स्तर के ऐसे मंत्री डेल्ही चुनाव की रणनीति बना रहे है जो अपनी सीट तक नही बचा पाये थे लोकसभा में अब आप सोच लीजिये  की क्या होगा बीजेपी का ? "आप" से वो रोज 5 सवाल पूछते है सवाल भी न जाने कितने पुराने । बीजेपी की पार्टी के अंदर ही फुट पड़ गयी है । फिर  "रजनी कोठारी" याद आये मुझे  उनके निबंध में उन्होंने बतया था की कांग्रेस एक भी कार्यकर्ता नेहरू जी तक पहुचने और अपनी बात पहुचाने  की हिमत रखा करता था , और पार्टी के उमीदवार पार्टी  में से आया करते थे क्युकी वो लोग वर्षो पार्टी में काम किया करते थे , और आप बीजेपी में देख ही रहे है  उमीदवार कहा से लाये है ।अब थोड़ी बात "आप" आज हम देख रहे है की चुनाव में केजरीवाल जी हावी हो रहे है , उनकी पार्टी से बड़ी उनकी छवि हो गयी है । आज FACE POLITICS बान  कर रहे गयी है राजनीती। आज की राजनीती में नई पार्टी जिसने वर्षो पुरानी पार्टियो को हिल्ला कर रख दिया है । एक नयी और मुद्दो की राजनीती वाली राजनीती शुरू हुई है । 
थोड़ा हमरे चुनावी सिस्टम में बदलाव की जरूरत है । FPTP  के बहुत के लोगो का प्रतिनिधित्व रह जाता है । इसमें जैसे की ऊपर एक उद्धरण दिया की कैसे 30 वोट पाने वाली की जीत हुए लेकिन याद रखिये की उसके खिलाफ 70 वोट पड़े है ये सबसे बड़ा सवाल उठता है की उन् 70 का प्रतिनिधित्व कौन  करेगा ?  चलिए इसके अल्वा एक सिस्टम हुआ करता है "अनुपातिक प्रतिनिधित्व"  इसमें जैसे डेल्ही में है 70 सीट तो बीजेपी को मिले 33.1 तो इससे मिलेगी 22 -23 सीट  , आप को मिले 29.5 तो इससे मिलेगी 20-21  सीट और कांग्रेस 25% तो इसको मिलेगी 17-18 सीट । इसमें सारे वोट का इस्तेमाल हो गया वोट  बर्बादी रुकी ।  इसमें पार्टी और उमीदवार दोनों चुने जाते है "ADDITIONAL MEMBER SYSTEM " हमारे देश में काई बार होता है की कभी पार्टी अच्छी होती  और कभी उमीदवार । इस सिस्टम में हम दोनों चुन सकते है । ये हमरे देश  लिए अच्छा सिस्टम साबित होगा । इन्ही सब बातो साथ साथ मै अंत करता हुँ । 

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